न ही वह सम्बोधन, जिसे मैं प्रतिदिन सुनता था- नमस्ते जी ! न ही वह सम्बोधन, जिसे मैं प्रतिदिन सुनता था- नमस्ते जी !
अभी पूरी तरह अण्डे से बाहर आई नहीं और चलीं हैं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने?” अभी पूरी तरह अण्डे से बाहर आई नहीं और चलीं हैं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में...
जैसे जैसे मैं बड़ी होती गई मुझे अपनी मातृभाषा हिंदी से प्यार होता गया । जैसे जैसे मैं बड़ी होती गई मुझे अपनी मातृभाषा हिंदी से प्यार होता गया ।
शायद इस नरक भारी जिंदगी से एक अच्छी जिंदगी जी रहा हो। शायद इस नरक भारी जिंदगी से एक अच्छी जिंदगी जी रहा हो।
यह योद्धा एक साइकल पर चलता है इसकी साइकल पर हमेशा पोधे रखे मिलते हैं ! यह योद्धा एक साइकल पर चलता है इसकी साइकल पर हमेशा पोधे रखे मिलते हैं !
दादी भी तो कलरफुल कपड़े पहनती हैं , और वो आप को डायन क्यो कहती है , आप तो सुन्दर परी हो दादी भी तो कलरफुल कपड़े पहनती हैं , और वो आप को डायन क्यो कहती है , आप तो सुन्दर...